संसाधन

Explore this section to look at the rich repository of resources compiled and generated in-house by RRCEE. It includes curriculum materials, research articles, translations, and policy documents, including commission reports, resources for teachers, select articles from journals and e-books. These all are collated under in user friendly categories, with inter-sectional tags. These resources are both in Hindi and English and cover a wide range of topics.


Achhi Shiksha – Kuch shikshan shastriya prashn

"शिक्षा की सैद्धांतिक समझ को लेकर दो प्रकार के मत हैं – एक, कार्य को सही दिशा देने के लिए यह अत्यावश्यक है| दुसरे, कक्षा में पढ़ाने के पद्धति की स्पष्टता से ही काम चल सकता है|
वर्तमान समय में शिक्षा की चुनौतियों को समझने के लिए वैचारिक स्पष्टता आवश्यक है, हालांकि इसकी रफ्तार धीमी होती है| अतः आवश्यक हो जाता है कि शिक्षा संवाद को आवृत्तिक रूप से गहरा किया जाए| विषय की प्रकृति एवं तदनुरूप पद्धति को सहभागी प्रक्रिया से समझने का प्रयास इस रपट में दर्शाया गया है| प्रशिक्षणों एवं कार्यशालाओं के अतिशय दौर में जबकि सब कुछ ‘मॉड्यूल’ केन्द्रित हो रहा है और शिक्षक तथा शिक्षा की समस्याओं को फौरी तौर पर देखा जा रहा है, रपट पुरानी होने के बावजूद इस तरह के अलग प्रयासों की प्रासंगिकता को रेखांकित करती है|"

शबाना स्कूल आई

बच्चों की औपचारिक शिक्षा के लिए अनिवार्य है कि वे स्कूल में नामांकित हों और नियमित आयें| बच्चों के दिमाग में स्कूल की बना दी गई छवि इसे करती है| शिक्षक की प्रतिबद्धता एवं स्नेहपूर्ण व्यवहार से बच्चे को शाला में जोड़ने का एक उदाहरण है यह डायरी|

Bhartiya pareekshaa pranaali ka samaajshastra

वर्तमान शिक्षा प्रणाली में वस्तुनिष्ठ एवं अवैयक्तिक तरीके से कराई जाने वाली परीक्षाओं पर बहुत बल दिया जाता है| मूल्याङ्कन के अधिकांश प्रावधान परीक्षाओं की रुपरेखा तथा उनके संचालन पर कोई सवाल उठाये बिना ही किए जाते हैं| सही परिणाम प्राप्त करने के लिए, परीक्षा की गोपनीयता बनाये रखने के लिए काफी तकलीफें उठायी जाती हैं, ताकि परीक्षा पूर्व ही प्रश्नों की जानकारी परीक्षार्थी को न हो जाए| औपनिवेशिक-वस्तुनिष्ठतावादी संस्कृति का ऐसा भयावह रूप, मूल्यांकन व्यवस्था के अतिरिक्त और कहीं भी देखने को नहीं मिलता| यह बना ही इस प्रकार से है कि लोगों को विलोपित, पराजित और निकल बाहर किया जाए जिससे अभिजात्य व्यवसायों के लिए बहुत थोडे से खास लोग बच जायें| स्पर्धात्मक चुनाव के माध्यम से कुछ खास प्रकार के रोजगार के लिए, लोगों की तलाश के लिए जब उक्त प्रकार की मूल्यांकन प्रणाली सही माध्यम बन जाति है तो यंहा शिक्षा की आधारभूत अवधारणा का उल्लंघन होता है|

सामाजिक शिक्षण कार्यक्रम : एक प्रयोग

"देश के विभिन्न भागों में बच्चों की शिक्षा स्थितियों को बेहतर बनाने का कार्य सरकारी योजनाओं एवं गैर-सरकारी संस्थाओं के माध्यम से किया जा रहा है| मौजूदा स्थितियों में परिवर्तन के लिए आवश्यक घर्षण के दौर से गुजरना पड़ना है| यह घर्षण पूर्व में बनी स्थितियों एवं उसके अनुकूल बन चुके मन (माइंड सैट) तथा परिवर्तनकामी विचार के मध्य होता है|
स्वतंत्रता एवं प्रेम के अनुभव से बच्चों में होने वाले परिवर्तन एवं इन परिवर्तनों के दृष्टिगोचर होने पर शिक्षकों तथा अभिभावकों में भी परिवर्तन की प्रक्रिया आरंभ होती है| परिवर्तन की यह प्रक्रिया सरल न होकर द्दन्द्दात्मक होती है| बहुत से अवरोध इस संक्रमण के दौर में आते हैं लेकिन इस कम में लगे व्यक्तियों में विचार के प्रति आस्था, विश्वास तथा सम्मानजनक माहौल में यह संभव हो सकता है| व्यापक शिक्षा तंत्र में इसे ही विकल्प मन जा रहा है| कहीं न कहीं परिवर्तन की संभावना प्रकट करती है - प्रस्तुत रिपोर्ट|"