संसाधन

Explore this section to look at the rich repository of resources compiled and generated in-house by RRCEE. It includes curriculum materials, research articles, translations, and policy documents, including commission reports, resources for teachers, select articles from journals and e-books. These all are collated under in user friendly categories, with inter-sectional tags. These resources are both in Hindi and English and cover a wide range of topics.


गुरु बर्मा गुरु शर्मा

"ज्ञान-विज्ञान एवं तकनीक के इस आधुनिक दौर में मानव रहित होती प्रक्रियाओं में शिक्षा के संदर्भ में भी ‘इलेक्ट्रोनिक माध्यमों’ से बच्चों को सिखाने की पैरवी की जा रही है| यह अनुपयोगी है हम नहीं कहना चाहते लेकिन एक बात यह जरुर कहना चाहते हैं कि सिखाने में मानवीय अंतः क्रिया का विकल्प नहीं खड़ा किया जा सकता शिक्षक अपने व्यवहार – आत्मीयता, संवेदनशीलता एवं प्रेम से – वह सब सिखाने में सक्षम है जो अन्यथा संभव नहीं है| अच्छे शिक्षा अजस्र स्रोत की तरह सतत प्रेरणा देते रहते हैं|
शिक्षा विमर्श में प्रयोग बतौर हम कोशिश कर रहे हैं ‘यादों से रची’ सीखने की प्रक्रिया और उसके द्दन्द्दों को समझाने की, कि क्या है जो हमारे व्यक्तित्व को रूपाकार देता है?
स्वयं प्रकाश जी हिंदी सुप्रसिद्ध एवं वरिष्ठ कथाकार हैं| हमारे आग्रह पर उन्होंने यह संस्मरण लिखा है| आभार के साथ ही हम कहना चाहते हैं कि स्वयं प्रकाश जी ने लिखने में कंजूसी जुरूर की है|"

शिक्षा का सलीब और टास्कर छात्र

"अच्छा सिनेमा मानवीय संवेदना को गहनता से प्रभावित करता है| अच्छी फिल्म देखने का अनुभव अच्छी पुस्तक पढ़ने अथवा सजीव मानवीय जीवन स्थितियों से गुजरने जैसा होता है|
हर देश का अच्छा सिनेमा अपनी सामाजिक भूमिका एवं दायित्व की तलाश में ऐसे विषयों को चुनता है जो मानवीय स्थितियों तथा व्यवस्था पर सवाल उठाता है एवं दिशा देता है| निश्चित ही यह भी समाज में बेहतर शिक्षण का माध्यम है जो विचारों को सघनता से आंदोलित करता है|
इस बार हमने पुस्तक समीक्षा के स्थान पर फिल्म समीक्षा को चुना है| ईरानी मूल की फिल्म है – ब्लैक्बोर्ड्स| फिल्म के माध्यम से कथित शिक्षा की अप्रसांगिकता, जड़ता एवं हर हाल में अपरिवर्तनीयता के मुद्दों को उभारा गया है|"

मेरा मन धीरे धीरे वहाँ चला जाएँ

वयस्कों के साहित्य की चर्चाएं पत्र-पत्रिकाओं में पर्याप्त रूप से छपती हैं| बच्चों के साहित्य पर अभी भी नियमित आवश्यक विचार विमर्श नहीं हो रहा है| ऐसा नहीं है कि बाल साहित्य नहीं रचा जा रहा है| कई अच्छे प्रकाशन बाल साहित्य के लिए है समर्पित हैं लेकिन ऐसा लगता है कि वयस्कों की दुनिया में बाल साहित्य के लिए समुचित स्थान नहीं है| शिक्षा विमर्श के माध्यम से बाल साहित्य को विमर्श के केन्द्र में लाने का प्रयास है| हमारी कोशिश रहेगी कि बाल साहित्य पर समीक्षा नियमित रूप से प्रकाशित की जाये| पहली बार में हमने बीकानेर के वत्सल प्रकाशन से छपी पुस्तकों – प्रयाग शुल्क की ‘बच्चों के लिए कविताएँ’ तथा मालचन्द तिवाड़ी की ‘कुछ होने और कुछ न होने का पहाड़ा’ – को चुना है|