संसाधन

Explore this section to look at the rich repository of resources compiled and generated in-house by RRCEE. It includes curriculum materials, research articles, translations, and policy documents, including commission reports, resources for teachers, select articles from journals and e-books. These all are collated under in user friendly categories, with inter-sectional tags. These resources are both in Hindi and English and cover a wide range of topics.


Sarkari Schoolon main dharm ki shiksha ke swaal aur nihitarth

दुनिया के सभी समाजों में धर्म की अपनी जगह है| यह रोजमर्रा की जिन्दगी का गहन हिस्सा है| बावजूद इसके ‘धर्म’ शिक्षा का हिस्सा नहीं है| स्वीकार या अस्वीकार के पीछे कौन से प्रश्न निहित हैं? धर्म को शिक्षा का हिस्सा बनाया जाये तो किस प्रकार की समस्याएं आयेंगी? क्या बच्चों के साथ धार्मिक सत्यों की चर्चा की जा सकती है? और यदि धार्मिक सत्यों की चर्चा होगी तो प्रमाणीकरण के प्रश्न भी उठेंगे| इस प्रकार के सवालों को उठाते हुए प्रस्तुत लेख में खण्डन मण्डन विधि से विमर्श को आगे बढ़ाया गया है|

Gyan ka rajnaitik arthshastra.

ज्ञान की अपनी सोची समझी वैचारिक प्रक्रिया होती है जिसके राजनैतिक-सामाजिक निहितार्थ होते हैं| ज्ञात के खाते में किसे शामिल किया जाये और किसे नहीं, वह इन्ही निहितार्थो से तय होता है| कोई भी शिक्षा व्यवस्था इन (हित-चिंताओं) की सरमायादारी में ही फलती-फूलती (?) है| इस लेख में इन्ही हित-चिंताओं की तफसील से पड़ताल की गई है| लेकिन लेखक ने सामाजिक जड़ता की जो व्याख्या की है; वह जड़त्व के वैज्ञानिक नियम के बजाय वर्चस्व की राजनीति और अर्थनीति से ज्यादा बेहतर व्याख्यायित होती| अस्तु|

Jodhpur mein prathmik shiksha

शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले शोध अध्ययनों में अक्सर सरकारी आंकड़ों को ही आधार बनाया जाता है| और ये आंकड़े जब राज्य या राष्ट्रीय स्टार के होते हैं तो खासे उलझाऊ नजर आते हैं| जिसके चलते इन आंकड़ों पर आधारित निष्कर्ष भी गोल मोल नजर आते हैं| बेहतर एवं समझ में आने वाले निष्कर्ष पाने के लिए इन आंकड़ों को छोटे स्टार पर यानि ग्राम पंचायत वार या पंचायत समिति वार एकत्र कर अध्ययन करना बेहतर उपाय हो सकता है| इसी तरह अध्ययनों को भी छोटे स्टार पर आयोजित करने की जरुरत है| तभी स्थिति का बेहतर आकलन व् विश्लेषण हो सकता है और स्थानीय तौर पर समस्याओं का समाधान निकालने के प्रयास किए जा सकते हैं|