यह वक्तव्य राजस्थान की पाठ्यपुस्तकों पर आयोजित राज्य स्तरीय सम्मेलन में दिया गया है। वक्तव्य में कहा गया है कि धार्मिक दुराग्रहों से ग्रसित होने के साथ ही ये पाठ्यपुस्तकें शिक्षाशास्त्राीय दृष्टि से भी बहुत खराब हैं। ये पाठ्यपुस्तकें संवैधानिक मूल्यों-लोकतंत्रा, धर्मनिरपेक्षता और समता-का भी उल्लंघन करती हैं। इन पुस्तकों का इस रूप में आना एक लम्बी तैयारी का परिणाम है जिसे धर्म के आधार पर राजनीति करने वाले संगठन अपनी विचारधारा की सरकार नहीं होने पर भी लगातार करते रहते हैं। साथ ही कहा गया है कि किताबें बेहतर बनें इसके लिए आवश्यक है कि पाठ्यपुस्तकों पर विचार विमर्श शिक्षाशास्त्राीय दृष्टि हो
Samvidhan-ke-Dayre-ka-Ullanghan-Karti-Pathya-pustake